बहुत दूर आकर जाना
ज़िन्दगी महज कुछ चंद
दिनों की मेहमान नहीं होती,
की किसी गलती को ये
सोच कर संभाल के रखा जाए
की कब तक….
साथ लेकर चलना है
कभी तो वक़्त आएगा
और सब कुछ बदल जाएगा
लेकिन नहीं….
ये वक़्त और ज़िन्दगी
दोनों चांद और सूरज से है
तो ना ज़िन्दगी बदलेगी
ना वक़्त साथ देने आएगा
तो क्या करना है….
वक़्त को लेकर चलना है
और ज़िन्दगी को जी कर जाना है
और गलतियों को वक़्त पे ना छोड़ कर
खुदको संवारते जाना है
होगा क्या…
तो होगा ये की करने में बुरा क्या है
अब आए है तो कुछ अच्छा तो करे
कुछ अच्छा बने, कुछ अच्छा सोचे
अच्छे इंसान ही सही
फिर भी….
जो रूह है शरीर में
उसे आजादी तो मिले
सुकून तो मिले की चलो
ज्यादा ज़ख्म ना दिए
ना सहे….।।।।
ऐसा कई बार होता है…. की हम किसी एक विचार को, किसी एक गलती को, बहुत लंबे समय तक अपने जहन से लगाए रखते है… हम ये भूल जाते है कि… कुछ बुरी यादों का साया हमारे साथ तब तक ही रहता है… जब तक हम उसे अपने साथ रखते है…
किसी बात को कितनी अहमियत देनी है, और किस बात को धुएं की तरह उड़ा देना है…
हमे हमारी कैसी पहचान इस जहां को देनी है
ये तय करना हमारे हाथ में ही है…. जितना भी हो संघर्ष भले… भूले ना अपने संस्कार कभी ….!